जिसकी कभी रोजी-रोटी की दरकार थी, वो आज करता है करोड़ों में फिल्म साइन
तेलुगू फिल्मों का मोस्ट पॉपुलर ये एक्टर कभी रहता था एक मामूली से कमरे में
फोर्ब्स इंडिया की टॉप 100 सेलिब्रिटी की लिस्ट में कई बार शुमार हो चुके एवं आज करोड़पतियों में शुमार तेलुगू फिल्मों के मोस्ट पॉपुलर एक्टर रवि तेजा ने कभी चेन्नई में एक मामूली से कमरे में रहते हुए अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। आज (26 जनवरी) रवि का 50वां जन्मदिन है। एक मामूली फार्मासिस्ट परिवार में आंध्रा में जनमे जिस रवि को अपना फिल्मी करियर शुरू करते समय चेन्नई की सड़कों की खाक छाननी पड़ी थी, आज उनके पास अपार सम्पत्ति, अनेक मकान, तमाम महंगी गाड़ियां और ऐश्वर्य का भरपूरा साजो-सामान है। रवि इन दिनो एक फिल्म में काम करने के लिए दो से पांच करोड़ रुपए तक लेते हैं।
रवि तेजा किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से हमेशा बचते रहते हैं। सिर्फ मन लगाकर अपने काम पर ध्यान देते हैं। वह अच्छे अभिनेता ही नहीं, अच्छे इंसान भी हैं। रवि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ब्रांड एंबेसडर भी रह चुके हैं। रवि तेजा फिल्मों में बेवकूफ, कोढ़ी, कृष्ण, डॉन, ऋषि, रॉबिनहुड, बंगाल टाइगर, राजा आदि की भूमिकाएं निभा चुके हैं।
तेलुगू फिल्मों के लोकप्रिय अभिनेता रवि तेजा अब तक 60 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं। वर्ष 1999 और सन् 2002 में उन्हें स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड मिल चुके हैं। इसके अलावा साल वर्ष 2008 में बेस्ट एक्टर स्टेट नंदी अवॉर्ड दिया गया था। सन् 1968 में रवि तेजा का जन्म आज (26 जनवरी) ही के दिन आंध्र प्रदेश में हुआ था। वर्ष 1990 में उन्होंने सपोर्टिंग एक्टर के रूप में अपना करियर शुरू किया। वर्ष 2012 में फोर्ब्स इंडिया की टॉप 100 सेलिब्रिटी की लिस्ट में वह 50वें स्थान पर रहे। अगले साल 2013 में फोर्ब्स की लिस्ट में वह 68वें और वर्ष 2015 में 74वें स्थान पर रहे। गौरतलब है कि फोर्ब्स की सूची में शीर्ष 100 सेलिब्रिटी में उन्हीं ऐसे नामों को सूचीबद्ध किया जाता है, जिनकी सालाना आय कम से कम 15.5 करोड़ रुपए हो।
वर्ष 2013 में जब फोर्ब्स ने उन्हें 68वें स्थान के लिए चुना, उनकी सालाना आय 13 करोड़ रुपये रही थी। शायद ही ऐसा कोई अभिनेता हो, जिसे बार बार फोर्ब्स की लिस्ट में आने का अवसर मिला हो। रवि ‘मास महाराजा’ के रूप में जाने जाते हैं। वह आजकल तेलुगू फिल्मों के सबसे अधिक लोकप्रिय कलाकारों में एक हैं। उनके साथ दूसरी खास बात यह जुड़ी है कि वह वह तेलुगू फिल्मों के सबसे महंगे कलाकार हो गए हैं। 26 जनवरी 1968 को जग्गम्पेता (आंध्र प्रदेश) में जनमे एवं अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े रवि तेजा के पिता राज गोपाल राजू फार्मासिस्ट और मां राजलक्ष्मी भूपति राज गृहिणी हैं। उल्लेखनीय है कि 24 जून 2017 को एक कार दुर्घटना में उनके एक भाई भरत की मृत्यु हो गई थी। भरत भी फिल्मों में काम करते थे। रवि के बचपन का ज्यादातर समय उत्तरी भारत में बीता है। उनकी पढ़ाई-लिखाई जयपुर, दिल्ली, मुंबई और भोपाल के स्कूलों में हुई है।
रवि तेजा किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से हमेशा बचते रहते हैं। सिर्फ मन लगाकर अपने काम पर ध्यान देते हैं। वह अच्छे अभिनेता ही नहीं, अच्छे इंसान भी हैं। रवि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ब्रांड एंबेसडर भी रह चुके हैं। रवि तेजा फिल्मों में बेवकूफ, कोढ़ी, कृष्ण, डॉन, ऋषि, रॉबिनहुड, बंगाल टाइगर, राजा आदि की भूमिकाएं निभा चुके हैं। साउथ फिल्म इंडस्ट्री भले ही बॉलीवुड से थोड़ी छोटी हो लेकिन यहां के सुपरस्टार हर मायने में बॉलीवुड सुपरस्टार्स को मात देते हैं। फिल्मों से लेकर फैन फॉलोइंग तक। इन साउथ सुपरस्टार्स का कोई सानी नहीं है। ऐसे ही एक्टर रवि तेजा भी हैं। वह साउथ के टॉप सुपरस्टार्स में शुमार हैं।
उनकी पॉपुलैरिटी कितनी ज्यादा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें ‘मास महाराजा’ के नाम से भी जाना जाता है। रवि आज तेलुगु सिनेमा के सबसे अमीर एक्टरों में एक सबसे ज्यादा कमाई कर रहे हैं। एक के बाद एक उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं। फिल्मों के साथ साथ उनकी कमाई में भी इजाफा हुआ है। उनकी लोकप्रियता का ही प्रताप है कि रोजाना टीवी पर उनकी कई फिल्में दिखाई जाती हैं। उनकी परफॉर्मेंस को देख कर लोग आज भी सीटियां बजाते हैं। निर्देशक पुरी जगन्नाध के साथ रवि तेजा ने कई हिट फिल्में दी हैं। कहा जाता है कि पुरी जगन्नाध की वजह से ही रवि तेजा इतने बड़े सुपरस्टार बन पाए। उनकी कई फिल्में बाकी निर्माता-निर्देशकों के लिए इंस्पिरेशन बन चुकी हैं।
अक्षय कुमार स्टारर ‘राउडी राठौर’ रवि तेजा की ही एक फिल्म का रीमेक रही है। रवि इन दिनो एक फिल्म में काम करने के लिए दो से पांच करोड़ रुपए तक लेते हैं। हैदराबाद में उनका एक घर और फार्महाउस भी है। इसके अलावा उनकी काफी सारी प्रॉपर्टी है। गाड़ियों का भी उनके पास बड़ा कलेक्शन है। मर्सडीज से लेकर रेंज रोवर और फॉर्च्यूनर जैसी कई गाड़ियां उनके पास हैं।
अपनी एनएसएम की पढ़ाई पूरी करने के बाद रवि ने विजयवाड़ा के सिद्धार्थ डिग्री कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद 1988 में वह फिल्मों में काम करने के लिए चेन्नई चले गए। रवि उन दिनो अपने घर-परिवार की माली हालत ठीक करने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे। उन्हें रोजी-रोटी की दरकार थी, नौकरी कहीं मिल नहीं रही थी तो उन्होंने अपने बचपन के शौक को ही अंजाम तक पहुंचाने का फैसला कर लिया। यद्यपि यह तमन्ना पूरी करने के लिए उन्हें शुरू के दिनो में इस तरह संघर्ष करना पड़ा कि अक्सर उनका इस काम से मन उखड़ जाया करता था लेकिन वह अपना लक्ष्य साधे कठिन पथ पर बढ़ते चले गए।
रवि को बचपन से ही फिल्में देखने और घुमक्कड़ी का शौक था। फिल्मी करियर में उन दिनो जिस तरह कलाकारों की कमाई होने लगी थी, रवि को लगा कि अभिनेता बनकर वह भी दाम और नाम दोनो आसानी से हासिल कर सकते हैं। जब वह चेन्नई पहुंचे, उन दिनो जेब किसी महंगे होटल, गेस्ट हाउस में रहने की इजाजत नहीं देती थी, सो एक मामूली कमरे में उन्होंने वाईवीएस चौधरी और गुनशेखर के साथ गुजर-बसर करते हुए अपना मुकद्दर आजमाना शुरू किया। संयोग से सबसे पहले उन्हें 1990 में कर्तव्य और अगले साल गुंडाराज में मामूली किस्म के रोल मिल गए। इसके साथ ही वह असिस्टेंट डाइरेक्टर के रूप में भी काम करने लगे।
उसी दौरान उनकी मुलाकात कृष्ण वाम्सी से हुई। वाम्सी के साथ उन्होंने वर्ष 1996 की एक हिट फिल्म ‘नेने पल्लदुथा’ में असिस्टेंट डाइरेक्टर, साथ ही एक छोटे कलाकार का भी दायित्व निभाया। पहली बार अगले साल 1997 में वाम्सी की ही फिल्म ‘सिंधुरम्’ में उनको मुख्य अभिनेता का रोल मिला। बाद में इस फिल्म को जब तेलुगू की सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार मिला तो रवि तेजा की किस्मत के दरवाजे खुल गए। इसके बाद उनको इल्लू श्रवण सुब्रह्मण्यम, चिरंजवीलू, अरुणू वल्लदिरू इस्ता पादरू, इडियट, खडगम, अम्मा नन्ना ओ तमिल अम्माई, वेंकी जैसी सफल फिल्मों में अभिनय का मौका मिलता गया।
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