शारदा सिन्हा को उनके नृत्य और गायन के लिए राज्य और देश के विभिन्न संस्थाओ द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। संगीत और कला की दुनिया में उनके योगदान के लिए 1991 में ही उन्हें पदम् श्री से नवाजा जा चुका है।
डॉ. शारदा सिन्हा किसी परिचय की मोहताज़ नहीं है। वह एक लोकप्रिय लोक-गायिका है जिसे भारत सरकार की तरफ से 2018 का पद्म भूषण अवार्ड देने की घोषणा हुई है। ये अवार्ड उनको कला और संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए चुना गया है। शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के राघोपुर सुपौल जिला, में हुआ था। वो मैथिली, भोजपुरी एवंम मगही भाषा की लोक गायिका है. वह हिंदी फिल्मों में भी अपने आवाज़ का रंग बिखेर चुकी है। बिहार का लोकप्रिय छठ पूजा शारदा सिन्हा के गीत के बिना अधूरा है. तभी तो उन्हें “बिहार कोकिला” के नाम से जाना जाता है
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उनकी प्रारभिक शिक्षा उनके गांव से ही हुई. स्नातक करने के बाद वो एक शिक्षिका के रूप में नौकरी करती थी जिसे छोड़कर वो मैथिली की लोक गायिका के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की. डॉ. शारदा सिन्हा ने 1980 से अपने संगीत करिअर की शुरुआत की तथा अब तक वो सक्रिय है. इन्होने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत में एम ऐ किया। बहुत ही काम लोगो को पता है की वह मणिपुरी नृत्य की बहुत अच्छी नृत्यांगना है। शारदा सिन्हा के महसूर गीतों में मैथिलि के: “कलेवा के पत्ता पर”, “ओ दीनानाथ”, “अरग के बेर”, “पहले पहल छठी मैया” इत्यादि है। उनके कुछ फेमस हिंदी सिनेमा के गीत है: “कहे तो से सजना” (मैंने प्यार किया), “बाबुल” (हम आपके है कौन), “तार बिजली” (गैंग्स ऑफ़ वासेपुर ) आदि है. शायद ही कोई ऐसा हो जो शारदा सिन्हा के गानों को नहीं सुना हो और उन्हें पसंद नहीं करता हो. उनकी आवाज़ में माटी की खुशबू है जो हर किसी को अपने जड़ो की और खींचती है।
शारदा सिन्हा को उनके नृत्य और गायन के लिए राज्य और देश के विभिन्न संस्थाओ द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। संगीत और कला की दुनिया में उनके योगदान के लिए 1991 में ही उन्हें पदम् श्री से नवाजा जा चुका है। शारदा सिन्हा के गायन ने देश की सीमा को लाँघ के विदेशों में भी लोकप्रियता बटोरी है। 1988 में उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के साथ मौरीसस की 20वीं स्वंत्रता समारोह में शारदा जी भी उनके साथ थी. उनके गायन को पुरे मॉरीशस में सराहा गया।
उन्हें दिए गए कुछ प्रमुख सम्मान:
वर्ष का सर्वोत्तम कलाकार -(H M V) 1979, लोक कला श्री – 1983, गोल्ड डिस्क – 1986, बिहार गौरव – 1987, डबल प्लैटिनम डिस्क – 1988, बिहार रत्न – 1988, भोजपुरी रत्न – (पश्चिम बंग भोजपुरी परिषद्)1988, लोक रत्न – 1990, पद्मश्री (भारत सरकार)- 1991, कबीर सम्मान – 1992, भोजपुरी रत्न (लखहनो)- 1993, संगीत गौरव – 1993, भिखारी ठाकुर सम्मान – 1996, मिथिला विभूयति सम्मान – 1996, आंबेडकर कल्चरल अवार्ड – 1997, सर्वोच्च्य नागरिक सम्मान – 1997, संगीत नाटक अकादेमी अवार्ड (भारत सरकार)2000, भारतेन्दु हरिश्चंद्र सम्मान – 2002, नेताजी सुभाष चंद्र सम्मान – 2003, राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान –(मध्य प्रदेश)2006, बिहार कलाकार सम्मान (बिहार)- 2008, भोजपुरी की लतमगेश्कर सम्मान -2001. पद्मा भूषण (2018).
हम पद्म भूषण अवार्ड के लिए शारदा सिन्हा जी को PERSIFLAGELOL की पूरी टीम की तरफ से बधाई देते है। उनके आरोग्य और उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए ये आशा करते है हमेशा उनके मधुर और माटी की खुशबू लिए गीतों को सुनने का मौका मिलता रहेगा.
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