पृथ्वी दिवस के रुप में 22 अप्रैल को चिन्हित किया गया है। पहली बार, इसे 1970 में मनाया गया और उसके बाद से लगभग 192 देशों में विश्व स्तर पर सालाना इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई।
पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय को दर्शाने के लिये साथ ही पर्यावरण सुरक्षा के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये 22 अप्रैल को पूरे विश्व भर के लोगों के द्वारा एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में हर साल विश्व पृथ्वी पृथ्वी दिवस को मनाया जाता है। पहली बार, इसे 1970 में मनाया गया और उसके बाद से लगभग 192 देशों में विश्व स्तर पर सालाना इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई।
हमारी पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ आज भी जीवन संभव है। धरती पर जीवन को बचाये रखने के लिये पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बनाये रखना बहुत जरुरी है। इस भीड़ में, भगवान द्वारा बनायी गयी सबसे बुद्धिमान कृति हैं इंसान, पर हम इंसान अपनी मानवता और अपने ग्रह का ध्यान रखना भूल गया है। धरती जिसने इसको जीवन दिया, आज वो उसी धरती के संसाधनों का निर्दयतापूर्वक इस्तेमाल कर रहा है। अपने ग्रह के महत्व के बारे में मानव जाति को जागरुक करने के लिय पृथ्वी दिवस के रुप में 22 अप्रैल को चिन्हित किया गया है।
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धरती पर लोगों के रहन-सहन के लापरवाह नजरिये के साथ ही औद्योगिकीकरण की दिनों-दिन बढती दर के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये विस्कॉन्सिन से यूएसए सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने इस दिन की नींव रखी। उनके द्वारा यह कदम अपने ग्रह की संपत्ति का सम्मान, प्रोत्साहन करने के साथ ही लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन के विचार को बढ़ाने के लिये लिया गया। हमेशा स्वस्थ और जीवित रहने के लिये पर्यावरणीय मसलों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है क्योंकि क्रूर लोग निर्दयतापूर्वक इसके संसाधनो का प्रयोग कर रहें हैं और शताब्दियों से इसके जीवन समर्थक संसाधनों को जर्जर कर रहें हैं। इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण ओजोन परत में क्षरण है जो हमें सूर्य की घातक किरणों से बचाता है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले पदार्थों को मिलने से नदियों का सूखना, पर्यावरण दूषित होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है जो भूमणडलीय तापक्रम में वृद्धि की ओर ले जा रहा है। रोजाना बढ़ते औद्योगिकीकरण वनों की कटाई की ओर ले जा रहें हैं जो अंतत: धरती के तापमान को बढ़ाने का कारण बनेगा। जो धरती पर स्वाश्वत जीवन के लिये खतरा है जिसको कुछ छोटे उपायों को अपनाकर कम किया जा सकता है, जैसे पेड़-पौधे लगाना, वनों की कटाई को रोकना, वायु प्रदूषण को रोकने के लिये वाहनों के इस्तेमाल को कम करना, बिजली के गैर-जरुरी इस्तेमाल को घटाने के द्वारा ऊर्जा संरक्षण को बढ़ाना। यही छोटे कदम बड़े कदम बन सकते हैं अगर इसे पूरे विश्वभर के द्वारा एक साथ अनुसरण किया जाये।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व पृथ्वी 2018 की थीम
धरती पर प्लास्टिक कचरे के बढ़ते बोझ के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र ने इस बार की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करो’ रखी है। एक अनुमान के मुताबिक अकेले भारतीय शहरों में ही रोजाना 15 हजार टन से अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। 2050 तक समुद्र में प्लास्टिक कचरे की मात्रा मछलियों से ज्यादा होने की आशंका है। तो आइए जानें दुनिया के विभन्नि देश प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने को क्या असरदार उपाय आजमा रहे हैं.
‘प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करो’ अभियान में चार प्रमुख घटक शामिल हैं:
प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक ढांचे को अपनाने के समर्थन के लिए एक जमीनी आंदोलन का नेतृत्व करना;
दुनिया भर में नागरिकों को शिक्षित करने, एकत्रित करने और सक्रिय करने के लिए सरकारों और निगमों ने प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित और साफ किया है
दुनिया भर में लोगों को प्लास्टिक प्रदूषण के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने के लिए प्लास्टिक को अस्वीकार करने, कम करने, पुन: उपयोग करने और रीसायकल करने का चयन करके शिक्षित करना, और
प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए स्थानीय सरकार नियामक और अन्य प्रयासों को बढ़ावा देना।
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विश्व पृथ्वी दिवस कैसे मनाया जाता है?
अपनी धरती के प्राकृतिक संपत्ति को बचाने के लिये 22 अप्रैल 1970 से ही बहुत उत्साह और दिलचस्पी के साथ पृथ्वी दिवस को पूरी दुनिया के लोग मनाते हैं। 20 मिलियन से ज्यादा अमेरिकन इस कार्यक्रम को मनाने के लिये भाग लेते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरणीय मुद्दों, औद्योगिकीकरण, वन कटाई आदि पर आधारित भूमिका प्रदर्शित करने के लिये सड़कें, पार्क और ऑडिटोरियम को व्यस्त रखतें हैं। पृथ्वी से जुड़े बढ़ते पर्यावरणीय ह्रास के मुद्दों के विरोध में हजारों कॉलेज, विश्वविद्यालयों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों से विद्यार्थी सक्रियता से भाग लेते हैं जैसे दिनों-दिन पर्यावरणीय ह्रास, वायु और जल प्रदूषण, ओजोन परत में कमी आना, औद्योगिकीकरण, वन-कटाई आदि से तेलों का फैल जाना, प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरी को तैयार करना, पावर प्लॉन्ट, कीटनाशक का उत्पादन और इस्तेमाल आदि से बचाना।
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