बता दें कि SC-ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान करीब 10 राज्यों में हिंसा हुई थी।
आरक्षण के विरोध में मंगलवार को भारत बंद बुलाया गया है। हालांकि, इस मामले में किसी बड़े संगठन का नाम सामने नहीं आ रहा है। बस सोशल मीडिया पर अपील की जा रही है। उधर, गृह मंत्रालय ने राज्यों को सुरक्षा बढ़ाने की एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत किसी भी तरह की हिंसा से निपटने के लिए सख्त एक्शन लेने की बात कही गई है। बता दें कि SC-ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान करीब 10 राज्यों में हिंसा हुई थी। इसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर 10 अप्रैल को आरक्षण के खिलाफ बंद की खबरें आने लगी थीं।
सामान्य और पिछड़ों ने बुलाया बंद
10 अप्रैल को जातिगत आरक्षण के खिलाफ सामान्य और ओबीसी वर्ग ने बंद की मांग की है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर कई मैसेज चल रहे हैं। जिनमें आरक्षण के खिलाफ बंद को समर्थन देने और इसमें शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। हालांकि, किसी भी राजनीतिक या गैर-राजनीतिक संगठन ने इसे समर्थन देने का एलान नहीं किया है।
हिंसा हुई तो कलेक्टर–एसपी होंगे जिम्मेदार
– गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि कहीं भी हिंसा या अप्रिय घटना हुई तो उस इलाके के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को निजी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
कई जगहों पर धारा 144 लगायी गयी है:
मध्य प्रदेश में पुलिस अलर्ट पर है। ग्वालियर और भिंड जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है। यहां मंगलवार को स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे।
– इंटरनेट भी 48 घंटे तक बंद कर दिया गया है। भोपाल में धारा 144 लगा दी गई है।
– सोमवार को भोपाल, ग्वालियर समेत प्रदेश के सभी संभागों में कमिश्नर और आईजी की संयुक्त बैठक हुई। इसमें धारा 144 लागू करने, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट वायरल होने पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
– हिंसा की अशंका को देखते हुए राजस्थान के भरतपुर में धारा 144 लगा दी गई है। इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है।
– उधर, उत्तराखंड के नैनीताल भी धारा 144 लगाई गई है। धरना-प्रदर्शन करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को हुआ था आंदोलन
– SC-ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित संगठनों ने भारत बंद का बुलाया था। इसका असर सबसे ज्यादा 12 राज्यों में देखने को मिला था। हिंसा में 15 लोगों की मौत हुई थी। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 7, यूपी और बिहार में तीन-तीन, वहीं राजस्थान में 2 की मौत हुईं।
SC/ST एक्ट में किया गया था बदलाव:
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– बता दें कि कोर्ट ने एक्ट में बदलाव करते हुए कहा था कि एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न की जाए। इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत मिले। पुलिस को 7 दिन में जांच करनी चाहिए। सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती।
– सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की रिव्यू पिटीशन पर मंगलवार को खुली अदालत में सुनवाई की। जहां कोर्ट ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुनवाई में बेंच ने कहा- “हमने SC-ST एक्ट के किसी भी प्रावधान को कमजोर नहीं किया है। लेकिन, इस एक्ट का इस्तेमाल बेगुनाहों को डराने के लिए नहीं किया जा सकता।”
अब देखना ये है की ये बंद कितना असरदार और व्यापक होता है।
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