पटना का शख्स, जिन्होंने 98 के उम्र में पोस्ट ग्रेजुएट कर रचा इतिहास

राजधानी पटना के राज कुमार वैश्य ने 98 साल की उम्र में पोस्ट ग्रैजुएटशन करके रचा इतिहास…

पटना में रहने वाले राज कुमार वैश्य ने 2015 में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएट के लिए आवेदन किया था। यूनिवर्सिटी के 12वें सालाना दीक्षांत समारोह में मेघालय के गवर्नर गंगा प्रसाद ने उन्हें पिछले साल यह डिग्री प्रदान की।

वैश्य इस उम्र में पोस्ट ग्रैजुएट करने वाले अकेले शख्स होंगे। उनकी किताबों को यूनिवर्सिटी में एक याद के तौर पर संग्रहीत किया जाएगा। राजकुमार वैश्य के बेटे संतोष कुमार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर थे और अब रिटायर हो चुके हैं।

आज के युग में तो हम 98 साल तक किसी के जीने की भी कल्पना नहीं कर सकते वहीं बिहार की राजधानी पटना के एक शख्स ने इस उम्र में पोस्ट ग्रैजुएट पास करके इतिहास रच दिया है। पटना में रहने वाले राज कुमार वैश्य ने 2015 में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएट के लिए आवेदन किया था। यूनिवर्सिटी के 12वें सालाना दीक्षांत समारोह में मेघालय के गवर्नर गंगा प्रसाद ने उन्हें पिछले साल यह डिग्री प्रदान की। राज कुमार ने कहा कि उन्होंने इसके लिए काफी मेहनत की जिसका परिणाम उन्हें मिला। इससे वे बेहद खुश भी हैं।

राज कुमार कहते हैं कि यह उनका बहुत बड़ा सपना था। वे हमेशा से अपना मास्टर पूरा करना चाहते थे, लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा था। वे कहते हैं कि आज के युवाओं को सिर्फ करियर पर ही नहीं बल्कि अपनी एजुकेशन पर भी ध्यान लगाना चाहिए। नालंदा यूनिवर्सिटी में 12वें दीक्षांत समारोह के दौरान कुल 22,100 छात्रों को अलग-अलग डिग्रियां प्रदान की गई। इसमें 29 छात्रों को गोल्ड मेडल भी मिला। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने बताया, ‘नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के लिए यह गर्व की बात है कि यहां से राजकुमार वैश्य जैसे लोगों ने पढ़ाई की। वे तमाम युवाओं को पढ़ने के लिए प्रेरणा देंगे।’

उन्होंने कहा कि संभवत: वैश्य इस उम्र में पोस्ट ग्रैजुएट करने वाले अकेले शख्स होंगे। उनकी किताबों को यूनिवर्सिटी में एक याद के तौर पर संग्रहीत किया जाएगा। राजकुमार वैश्य के बेटे संतोष कुमार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर थे और अब रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘पिताजी की उपलब्धि पर हम सभी खुद को काफी गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। पिताजी को चलने में दिक्कत होती है इसलिए दीक्षांत समारोह के दौरान उन्हें व्हील चेयर के सहारे मंच पर चढ़ने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने वॉकर के सहारे चलकर अपनी डिग्री ली।’

मेघालय के गवर्नर ने डिग्री देते हुए उन्हें प्रेरणास्रोत बताया। राज कुमार वैश्य का जन्म 1920 में यूपी के बरेली में हुआ था। उन्होंने 1938 में आगरा विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया था और उसके बाद 1940 में कानून की पढ़ाई करते हुए एलएलबी भी किया। इसके बाद झारखंड में एक कंपनी में उन्हें बतौर लॉ ऑफिसर नौकरी मिल गई जिसके बाद वे कभी पोस्ट ग्रैजुएशन नहीं कर पाए। 1980 के दशक में वे कंपनी से जनरल मैनेजर के पद से रिटायर हो गए। तब से वे पोस्ट ग्रैजुएशन करने को इच्छुक थे। उनका यह सपना इस उम्र में जाकर पूरा हुआ।

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