वैसे तो रामनवमी देश में हर जगह मनाया जाता है लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्म नगरी अयोध्या में इसका कुछ खास ही महत्व है. भगवान श्रीराम को श्री हरी का सातवा अवतार माना जाता है।
राम नवमी पुरे भारत वर्ष में बहुत हीं हर्षों उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह चैत महीना के नौवें दिन , जो अंग्रेजी में मार्च या अप्रैल के मंथ में आते है, को भगवन श्रीराम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. चैत महीना हिन्दू धर्म के लिए बहुत ही पावन माना जाता है, ये महीना हिन्दू धर्म के अनुसार नए वर्ष के आरम्भ का होता है. इस महीने का आरम्भ चैत्र नवरात्र से सुरु होता है जो नौवें दिन श्री राम के जन्मों उत्सव के साथ खतम होता है. भगवान श्रीराम को श्री हरी का सातवा अवतार माना जाता है।
वैसे तो रामनवमी देश में हर जगह मनाया जाता है लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्म नगरी अयोध्या में इसका कुछ खास ही महत्व है. इस दिन लोग अयोध्या के सरयूं नदी में स्नान करके मंत्रोच्चारण करते विशेष पूजा अर्चना करते है. रामनवमी के दिन उपवास रखा जाता है,पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन जगह रामलीला का आयोजन भी किया जाता है. रथ यात्रा निकली जाती है. रामनवमी में पूजा विशेष बहुत ही रीती रिवाज से किया जाता है। इनका भी अपना खास महत्व है.
रामनवमी के दिन भक्तगण दिन भर उपवास रहते है तथा उस दिन सिर्फ फलों का सेवन करते है, अगर साइंस की नजर से भी देखा जाये तो यह हम सब जानते है की फलों का सेवन करना स्वस्थ्य की दृस्टि से कितना लाभ भदायक होता है. वैसे भी ये समय ऋतू परिवर्तन का भी होता है ऐसे में शरीर को प्रकृति के साथ ताल मेल के लिए उपवास रखना बहुत ही फायदेमंद होता है. शरीर का सारा टॉक्सिक निकल जाता है.
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इस दिन सरयू नदी में भक्त स्नान करते है ऐसा माना जाता है की इससे उनका सारा पाप धूल जाता है तथा तन एवं मन से वो शुद्ध हो जाते है. और अगर हम शरीर की फायदों की दृस्टि से देखे तो सूर्य की रौशनी में नदी में स्नान करने से इस ऋतू विशेष में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाती है.
इस दिन रामलीला का भी आयोजन किया जाता है. रामलीला प्रभु श्रीराम के जीवन की एक झांकी है।
प्रभु राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में माना जाता है. किस तरह एक साधारण मानव के रूप में जन्म लेकर प्रभु ने मर्यादा का पालन किया. उनका जीवन आज भी उतना ही प्रासंगिक है. आज हम देखते है की भाई भाई का दुश्मन बना है, लोग पैसों के लिए दूसरे की जान लेने में उतारू है. ऐसे में उनका चरित्र हमें ये सिखाता है कैसे पिता के एक वचन के लिए वो राजपाट छोड़कर वनवास चले गए. भाइयों के विच इतना प्रेम था एक दूसरे पर सब न्योछावर कर दिया।
साउथ इंडिया में इस दिन को राम सीता के विवाह के वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है जो हमें आपसी प्यार विस्वास और हर प्रष्ठिति में एक दूसरे का साथ देने की सिख देता है.
ऐसा माना जाता है की भगवन राम का जन्म दिन में बारह बजे हुआ था. जिस कारण पूरा दिन बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है. सरकारी गैरसरकारी सभी दफ्तर बंद रहते है. ये सरकारी अवकाश का दिन होता है. जगह जगह पंडाल लगया जाता है है. पूजा अर्चना की जाती। यह चैत्र नवरात्र का भी अंतिम दिन होता है, तो वातावरण में हर ओर भक्ति का समावेश रहता है. राम नवमी का त्यौहार हमारे नव वर्ष नव जीवन का आरम्भ है। हमें भी अपने जीवन में प्रभु राम के मर्यादा पुरुषोत्तम रूप को उतरना चाहिए.